
यह लेख ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों और साथ ही साथ कम दोषसिद्धि (conviction) और चार्जशीट दाखिल करने की दरों को उजागर करता है, जो राज्य की संस्थागत प्रतिक्रिया की गंभीर विफलता को दर्शाता है। हाल के मामलों में महिलाओं के साथ बर्बर हमले, अपहरण और उत्पीड़न के कारण आत्महत्याएं शामिल हैं, जो न्याय वितरण प्रणाली की प्रणालीगत खामियों को उजागर करती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा में वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ 5,000 से अधिक पुलिस मामले दर्ज किए गए, जो देश में सबसे अधिक दरों में से एक है — प्रति एक लाख जनसंख्या पर 33 मामले। इसके बावजूद, ओडिशा का दोषसिद्धि दर 2017 से 2022 के बीच औसतन केवल 8.2% रहा, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। वर्ष 2022 में इसकी चार्जशीट दाखिल करने की दर 71.4% थी, जो हरियाणा और राजस्थान जैसे उच्च-अपराध वाले राज्यों से भी कम थी। ओडिशा की अदालतें भी अक्षमता दिखाती हैं, जिनमें मामलों के निपटान की दर कम है और लंबित मामलों की संख्या अधिक है। दिल्ली और असम जैसे अन्य राज्यों के साथ ओडिशा की तुलना करने वाले ग्राफ दिखाते हैं कि राज्य दोहरी समस्या झेल रहा है — महिलाओं के खिलाफ अधिक अपराध और कमजोर कानूनी प्रक्रिया। लेख निष्कर्ष रूप में कहता है कि ओडिशा की कानून-व्यवस्था और न्यायपालिका को महिलाओं की सुरक्षा और न्याय में जनता का भरोसा बहाल करने के लिए तत्काल और प्रणालीगत सुधार करने की आवश्यकता है।
📌 मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन हेतु मूल्य संवर्धन (Value Addition for Mains Answers):
🔹 प्रासंगिक आंकड़े:
ओडिशा में दोषसिद्धि दर (2022): 9.3% (राष्ट्रीय औसत: ~26%)
चार्जशीट दाखिल करने की दर: 71.4% (देश में सबसे कम में से एक)
महिलाओं के खिलाफ पुलिस मामले: 5,010 (2022 में, प्रति लाख जनसंख्या पर उच्च दर)
🔹 संविधानिक प्रावधान:
अनुच्छेद 15(3): महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान की अनुमति
अनुच्छेद 21: गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार
🔹 महत्वपूर्ण कानून:
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 173: समय पर चार्जशीट दाखिल करना आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम – 2013 और 2018
🔹 महत्वपूर्ण योजनाएँ:
वन स्टॉप सेंटर (OSC)
निर्भया फंड
फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (FTSCs)
🔹 प्रमुख न्यायालय निर्णय:
विशाखा बनाम राजस्थान राज्य: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के लिए दिशानिर्देश
ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार: संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य एफआईआर का आदेश
📝 सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 – शासन, संविधान, राजनीति और सामाजिक न्याय
1. “महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्च दर, साथ ही कम दोषसिद्धि और चार्जशीट दाखिल करने की दरें, न्याय वितरण प्रणाली की प्रणालीगत विफलता को दर्शाती हैं।” ओडिशा के हालिया आंकड़ों के आलोक में इन चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और सुधारों का सुझाव दीजिए।
(250 शब्द)
2. भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने में कितनी प्रभावी रही है, इसकी विवेचना कीजिए। अपने उत्तर में ओडिशा के प्रमुख कानूनी संकेतकों के प्रदर्शन का उल्लेख कीजिए।
(250 शब्द)
3. “भारत में महिलाओं की सुरक्षा के दो प्रमुख स्तंभ हैं — पुलिस की तत्परता और न्यायिक दक्षता।” ऐसे राज्यों के उदाहरण सहित चर्चा कीजिए, जहाँ अपराध दर तो अधिक है लेकिन दोषसिद्धि दर कम है, जैसे कि ओडिशा।
(150 शब्द)
4. महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कम दोषसिद्धि दर के सार्वजनिक विश्वास और लैंगिक न्याय पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? राज्य सरकारें पुलिस और अभियोजन प्रणाली में क्या सुधार कर सकती हैं?
(150 शब्द)
🧭 सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 4 – नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति
5. “न्याय में देरी, विशेषकर महिलाओं जैसे संवेदनशील वर्गों के लिए, न्याय से वंचित होने के बराबर है।” ओडिशा में बढ़ते अपराधों और न्यायिक लंबित मामलों के संदर्भ में इस नैतिक द्वंद्व पर चर्चा कीजिए।
(150 शब्द)
6. महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने हेतु लोक सेवकों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और न्यायपालिका की नैतिक जिम्मेदारियों का मूल्यांकन कीजिए।
(250 शब्द)