“What deters pilots from seeking help for mental health concerns”

महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ने के बावजूद, कई एयरलाइन पायलट चिंता, अवसाद या बर्नआउट जैसी समस्याओं के लिए मदद लेने में हिचकिचाते हैं। इसका मुख्य कारण केवल सामाजिक कलंक (stigma) नहीं है, बल्कि यह डर भी है कि यदि वे अपनी समस्या उजागर करते हैं तो इससे उनकी चिकित्सा प्रमाणिकता (medical certification), उड़ान की पात्रता और पेशेवर भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

🔸 मुख्य बिंदु:

लेख की शुरुआत जून 2024 में एयर इंडिया एक्सप्रेस के बोइंग 737 विमान दुर्घटना में शामिल एक पायलट के मानसिक आघात से होती है। यह घटना उस पायलट को मानसिक रूप से व्यथित कर गई, जिससे वह ठीक से नींद भी नहीं ले सका और काम पर लौटना कठिन हो गया।

कम उम्र के पायलटों और केबिन क्रू में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का खतरा अधिक होता है। ऐसे हादसों के बाद अक्सर उड़ानें रद्द होती हैं या मेडिकल लीव ली जाती है।

कई पायलट लगातार बैक-टू-बैक घरेलू उड़ानें भरते हैं, जिनमें आराम का समय बेहद कम होता है, जिससे थकावट, तनाव और सामाजिक अलगाव की स्थिति बन जाती है।

ग्राउंडिंग (उड़ान से रोक) और आय खोने का डर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की रिपोर्टिंग को रोकता है, भले ही जागरूकता बढ़ी हो।

🔹 विशेषज्ञों की राय:

शुभाशीष मजूमदार, पूर्व एयरलाइन कमांडर: भारतीय विमानन क्षेत्र में अब भी मानसिक स्वास्थ्य को खुलकर स्वीकार नहीं किया जाता। नीतिगत अस्पष्टता, सामाजिक कलंक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की लागत पायलटों को मदद लेने से रोकती है।

डॉ. जिजो जॉन, एविएशन साइकोलॉजिस्ट: भले ही कलंक कम हो रहा हो, लेकिन यदि मदद लेने से लाइसेंस या सर्टिफिकेशन को खतरा है, तो पायलट फिर भी चुप रहते हैं।

2022 में डब्ल्यू. हॉफमैन द्वारा की गई एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, जो पायलट मदद लेना चाहते भी हैं, वे नीतियों की अस्पष्टता के कारण कदम नहीं उठाते।

⚖️ नीति और नियामक प्रतिक्रियाएं:

फरवरी 2023 में, DGCA ने “मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन” पर एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें स्व-रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित किया गया और 25-पॉइंट प्रश्नावली को अनिवार्य किया गया।

22 जुलाई 2024 को, DGCA ने एयरलाइन डॉक्टरों को इन मानसिक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए।

🧾 निचोड़ (मुख्य निष्कर्ष):

पायलटों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं वास्तविक हैं, जो नौकरी के तनाव, अनियमित समय और आराम की कमी से और बिगड़ जाती हैं।

उड़ान लाइसेंस खोने, नीति की स्पष्टता की कमी और गोपनीयता संबंधी चिंताओं के चलते पायलट मदद लेने से बचते हैं।

विमानन क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को संरचित, गोपनीय और कलंक-मुक्त बनाने के लिए नीतिगत सुधार, जागरूकता, और समर्थन प्रणाली का निर्माण अत्यावश्यक है।

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