“Agony of Exit – धनखड़ का इस्तीफ़ा और संसदीय लोकतंत्र पर प्रभाव”

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक दिया गया इस्तीफा – जो औपचारिक रूप से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देता है – कार्यपालिका और विधायिका के बीच बढ़ते तनाव की ओर संकेत करता है। राज्यसभा के सभापति के रूप में सक्रिय रहते हुए, उनके इस्तीफे से पहले सप्ताह के सार्वजनिक कार्यक्रम भी तय किए गए थे। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश को हटाने की कार्यवाही में सरकार की रणनीति से उनका मतभेद, एक टकराव का बिंदु बन गया।

धनखड़ का झुकाव न्यायिक जवाबदेही, संसदीय सर्वोच्चता और संविधान में “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्दों की आलोचना की ओर रहा है। उन्होंने विपक्ष द्वारा न्यायाधीशों को हटाने की पहल को स्वीकार किया, जिससे कार्यपालिका के साथ उनका टकराव और गहराया। उनका इस्तीफा विधानपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करता है और भारत के लोकतांत्रिक संतुलन के लिए चिंता का विषय बन गया है।

📘 UPSC नोट्स – धनखड़ का इस्तीफा: संवैधानिक संतुलन का एक केस स्टडी

📌 उपराष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिका:

अनुच्छेद 63: भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

अनुच्छेद 64: राज्यसभा का पदेन सभापति।

कार्य: राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करना, विधायी अनुशासन बनाए रखना।

📌 इस्तीफे के कारण:

औपचारिक कारण: स्वास्थ्य।

वास्तविक कारण: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग पर सरकार से टकराव।

न्यायिक जवाबदेही और संसदीय अधिकार को लेकर मतभेद।

संविधान में “धर्मनिरपेक्ष” व “समाजवादी” शब्दों पर विवादास्पद बयान।

📌 धनखड़ से जुड़ी प्रमुख विवादास्पद घटनाएं:

पहले उपराष्ट्रपति जिन पर विपक्ष ने हटाने का प्रस्ताव रखा। न्यायपालिका की आलोचना व जवाबदेही की माँग। न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग प्रस्तावों को स्वीकार किया।

📌 UPSC प्रासंगिकता – मुख्य विषय:

राजनीति एवं संविधान: उपराष्ट्रपति की भूमिका, शक्तियों का पृथक्करण।

GS पेपर 2: कार्यपालिका-विधानपालिका संबंध, न्यायिक स्वतंत्रता बनाम जवाबदेही।

GS पेपर 4: संस्थागत नैतिकता, संवैधानिक पदाधिकारियों की जवाबदेही।

🌐 UPSC दृष्टिकोण से मूल्य संवर्धन (Value Addition)

🔹 न्यायिक जवाबदेही बनाम स्वतंत्रता:

न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्ण अय्यर: “न्यायिक स्वतंत्रता का अर्थ न्यायिक अनुशासन की अनदेखी नहीं।”

दूसरा न्यायाधीश मामला (1993): न्यायिक स्वतंत्रता पर बल।

NJAC निर्णय (2015): संसद द्वारा नियुक्ति सुधारों को असंवैधानिक घोषित किया गया।

🔹 कार्यपालिका का अतिक्रमण (Overreach):

संसद की अनदेखी कर अध्यादेश मार्ग।

राज्यसभा की भूमिका को सीमित करना (जैसे – मनी बिल का दुरुपयोग)।

उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों पर राजनीतिक दबाव।

🔹 संसदीय परंपराओं का क्षरण:

पारदर्शिता के बिना इस्तीफा देना संस्थागत परंपरा को कमजोर करता है।

लोकतंत्र की मजबूती आपसी संतुलन और संवाद में है, न कि वर्चस्व में।

📝 UPSC प्रीलिम्स शैली प्रश्न (हिन्दी में)

1. भारत के उपराष्ट्रपति के संदर्भ में निम्न में से कौन-कौन से कथन सही हैं?

उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल लोकसभा के सदस्य करते हैं। उपराष्ट्रपति दोनों सदनों के अध्यक्ष होते हैं। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है।

विकल्प:

A. केवल 1 और 2

B. केवल 2 और 3

C. केवल 3

D. उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: D

2. निम्नलिखित पर विचार कीजिए:

राज्यसभा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव ला सकती है। उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति के रूप में ऐसे प्रस्तावों की प्रारंभिक जांच करते हैं।

उपयुक्त विकल्प चुनिए:

A. केवल 1

B. केवल 2

C. दोनों 1 और 2

D. न तो 1 न ही 2

उत्तर: C

📝 UPSC मुख्य परीक्षा प्रश्न (GS2 / नैतिकता)

1. GS पेपर 2 (भारतीय राजनीति)

प्रश्न: भारत के उपराष्ट्रपति का इस्तीफा संसदीय लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन पर इसके प्रभाव की समीक्षा कीजिए।

2. GS पेपर 4 (नैतिकता)

प्रश्न: संस्थागत टकराव की स्थिति में, संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की नैतिक जिम्मेदारियां क्या होनी चाहिए? हालिया घटनाओं के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।

3. GS पेपर 2 (संविधान – शक्तियों का पृथक्करण)

प्रश्न: न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए विधायिका द्वारा उस पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की सीमा क्या होनी चाहिए? हाल के न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग प्रयासों के संदर्भ में चर्चा कीजिए।

About Company

Breakfast procuring nay end happiness allowance assurance frankness. Met simplicity nor difficulty unreserved allowance assurance who.

Most Recent Posts

Category

Tags

About Us

At Delhi Civils, we are committed to shaping the future of aspiring civil servants. Located in Hariom Tower, Ranchi, we take pride in being the most trusted IAS coaching center with a proven track record of success.

Quick Links

Gallery

Copyright © 2025 Delhicivils ||  Created by ISB DIGITAL MARKETING