“ट्रम्प ने डिप्लोमेसी के नियम बदल दिए हैं”

डोनाल्ड ट्रम्प ने पारंपरिक कूटनीति के नियमों को तोड़ते हुए व्यक्तिगत, अप्रत्याशित और अक्सर असंगत बयानों की एक नई शैली – जिसे लेखक ‘ट्रम्प्लोमेसी’ कहते हैं – को वैश्विक राजनीति में स्थापित कर दिया है। भारत सहित कई देशों को उनकी शेखीबाज़ी, विरोधाभासी बयानों और अमेरिकी विदेश नीति में अस्थिरता के कारण जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। भारत-पाक संबंधों में ट्रम्प का हस्तक्षेप, मोदी और पाकिस्तानी जनरल मुनीर का एकसाथ उल्लेख, और भारत के आंतरिक मामलों में अनावश्यक बयानबाजी ने कूटनीतिक तनाव बढ़ाया है। ट्रम्प पारंपरिक बैक-चैनल डिप्लोमेसी की जगह सार्वजनिक दिखावे और धमकी की राजनीति अपनाते हैं, जिससे कई बार सहयोगी देश भी असहज हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, नाटो नेताओं के निजी पत्र सार्वजनिक करना या गाजा को ‘रिज़ॉर्ट’ क्षेत्र बनाने की कल्पना जताना उनकी राजनीति की सतही और अव्यवस्थित शैली को दर्शाता है। फिर भी, ट्रम्प कुछ मामलों में कटु सत्य बोलते हैं, जैसे पाकिस्तान में सेना का असली शासन होना, जिसे भारत दशकों से कहता आया है। वैश्विक स्तर पर अब देश ट्रम्प की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तय कर रहे हैं। इस नई वास्तविकता में देशों को अमेरिका के साथ संबंधों को नए दृष्टिकोण से देखना होगा – चाहे वो भारत-चीन तनाव हो या रूस-भारत-चीन संवाद की संभावना। ट्रम्प की कूटनीति नीति की नहीं, बल्कि व्यक्तिगत शैली और अनियमितता की राजनीति है, जिससे दुनिया को सामंजस्य बनाना सीखना पड़ रहा है।

1. GS पेपर 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रश्न: “ट्रम्प की विदेश नीति पारंपरिक कूटनीति से एक विचलन को दर्शाती है और वैश्विक संबंधों में अनिश्चितता के एक नए युग की शुरुआत करती है।” हालिया घटनाओं के प्रकाश में, भारत के रणनीतिक हितों पर ऐसी वैयक्तिकृत कूटनीति के प्रभावों की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए।

2. GS पेपर 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध / भारत और उसका पड़ोस

प्रश्न: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत और पाकिस्तान को बार-बार समान रूप से प्रस्तुत करने के प्रयासों ने भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक स्थिति को चुनौती दी है। भारत की विदेश नीति की स्वायत्तता पर ऐसे बाहरी हस्तक्षेपों के प्रभावों का विश्लेषण कीजिए।

3. GS पेपर 2 – शासन व्यवस्था और राजनीति

प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में वैयक्तिकृत नेतृत्व शैली राज्य हितों और व्यक्तिगत एजेंडा के बीच की सीमाओं को धुंधला कर सकती है। ऐसी नेतृत्व शैली, विदेश नीति निर्माण की संस्थागत मान्यताओं के लिए कौन-कौन सी चुनौतियाँ उत्पन्न करती है, स्पष्ट कीजिए।

4. GS पेपर 1 – विश्व इतिहास / समकालीन राजनीतिक विचारधाराएं

प्रश्न: “ट्रम्पवाद” (Trumpism) की अवधारणा वैश्विक नेतृत्व के मॉडल में किस प्रकार का परिवर्तन दर्शाती है? इस दृष्टिकोण की तुलना पारंपरिक उदार अंतरराष्ट्रीयवाद (liberal internationalism) और बहुपक्षीय कूटनीति (multilateral diplomacy) से कीजिए।

5. GS पेपर 4 – अंतर्राष्ट्रीय मामलों में नैतिकता

प्रश्न: क्या यह नैतिक है कि वैश्विक नेता रणनीतिक लाभ के लिए गलत सूचना, डराने-धमकाने और असंगत कूटनीति का उपयोग करें? डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिका के तहत हालिया विदेश नीति रुझानों के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए।

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