
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में 187 लोगों की जान चली गई थी, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे भीषण आतंकी हमलों में गिना जाता है। जांच में पाया गया कि इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और भारत में सक्रिय सिमी जैसे आतंकी संगठन थे। महाराष्ट्र एटीएस द्वारा जांच कर 28 लोगों को आरोपित बनाया गया, जिनमें से 13 के खिलाफ मुकदमा चला और 2015 में 12 को दोषी करार दिया गया। परंतु 2025 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने पाया कि पुलिस और अभियोजन ने गवाहों को समय पर पेश नहीं किया, शिनाख्त परेड में लापरवाही बरती, और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान देर से या बिल्कुल दर्ज नहीं किए। इसके अतिरिक्त, अभियोजन की लचरता, एजेंसियों की अक्षमता और आतंकवाद जैसे गंभीर मामलों में प्रणालीगत विफलता को भी उजागर किया गया। यह अकेला मामला नहीं है — जयपुर, वाराणसी, दिल्ली, लाजपत नगर, अहमदाबाद जैसे कई मामलों में या तो दोषियों को बरी कर दिया गया या वर्षों से निर्णय लंबित है। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत की न्यायिक और कानूनी व्यवस्था आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों से निपटने के लिए अभी भी सशक्त नहीं हो सकी है। जबकि भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाने की मांग करता है, वहीं अपने यहां जांच एजेंसियों और अभियोजन का लचर रवैया चिंताजनक है। यह न सिर्फ पीड़ितों के साथ अन्याय है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी आत्मघाती रवैया है।
1. GS पेपर 2 – शासन व्यवस्था / आपराधिक न्याय प्रणाली
प्रश्न: “एक अक्षम अभियोजन और जांच प्रणाली राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्वयं आतंकवाद जितनी ही खतरनाक हो सकती है।” 7/11 मुंबई ट्रेन धमाका मामले में दोषमुक्ति के संदर्भ में, आतंकवाद से जुड़े मामलों से निपटने में भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
2. GS पेपर 3 – आंतरिक सुरक्षा
प्रश्न: हालांकि भारत आतंकवाद का सबसे बड़ा भुक्तभोगी रहा है, फिर भी वह आतंक से जुड़े मामलों में न्यायिक निष्कर्ष तक पहुंचने में संघर्ष करता आ रहा है। इन मामलों में त्वरित और प्रभावी न्याय प्रदान करने में बाधा बनने वाली संस्थागत विफलताओं का विश्लेषण कीजिए।
3. GS पेपर 2 – राजनीति एवं शासन व्यवस्था
प्रश्न: “केवल आर्थिक विकास किसी देश को विकसित नहीं बना सकता; संस्थागत दक्षता और न्यायिक ईमानदारी भी उतनी ही आवश्यक होती है।” इस कथन की चर्चा कीजिए, विशेष रूप से भारत में आतंकवाद संबंधी मुकदमों और कानूनी जवाबदेही के संदर्भ में।
4. GS पेपर 4 – शासन में नैतिकता
प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा और जन-मानस पर गहरे प्रभाव डालने वाले मामलों में जांच एजेंसियों और सरकारी अभियोजकों की क्या नैतिक जिम्मेदारियां होती हैं? ऐसी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने हेतु जवाबदेही और व्यावसायिक ईमानदारी को बेहतर बनाने के लिए क्या सुधार किए जाने चाहिए, सुझाव दीजिए।